भाई दूज 2023 की तिथि, पूजा का समय मुहूर्त, अनुष्ठान, कथा, और इतिहास

इस लेख के माध्यम से आपको भाई दूज 2023 की तिथि, पूजा का समय मुहूर्त, अनुष्ठान, कथा, और इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।

इस लेख में आपको भाई दूज की तिथि, भाई दूज पूजा का समय, भाई दूज की कथा या कहानी, और भाई दूज से जुडी अन्य जानकारी मिलेगी। भाई दूज को भैया दोज भी कहा जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन सभी हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। भाई दूज या भैया दोज रक्षा बंधन के समान त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहनों के प्यार और रिश्ते को समर्पित है।

भाई दूज दिवाली से एक दिन बाद और गोवर्धन पूजा के अगले दिन पड़ता है जो दिवाली के पांच दिवसीय त्योहारों के मौसम में अंतिम त्यौहार होता है।

भाई दूज 2023 की तिथि

भाई दूज का त्योहार इस साल मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को मनाया जाएगा।

भाई दूज 2023 पूजा का समय मुहूर्त:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त

अपराह्न समय – 01:10 पी एम से 03:19 पी एम है।
शुभ मुहूर्त की कुल अवधि – 02 घण्टे 09 मिनट की है।

भाई दूज 2023 अनुष्ठान समारोह:

उत्तर भारत में भाई दूज के पर्व को मानाने के लिए, बहने अपने भाइयों के नाम से सूखा नारियल लाती है और वह आरती का थाल सजाती है जिसमे लाल सिंदूर व चावल तिलक के लिए, मिठाईया, सूखा नारियल, कलावा (सूती धागा) और पानी का कलश।

भाई दूज कैसे मनाते हैं।

  1. सबसे पहले आटा ले कर चौक बनाया जाता है।
  2. भाइयो को एक लकड़ी की चौकी (पटला) या कोई कपडे का आसन पर बैठते है।
  3. उसके बाद बहने अपने भाइयो के माथे पर तिलक करती है।
  4. और उनके दाहिने हाथ में कलावा बांधती है।
  5. उनको मिठाईया खिलाती है और पानी पिलाती है।
  6. उत्तर प्रदेश में बहन चावलों को ले कर अपने भाई के सर से उतर कर फेकती है।
  7. भाई अपनी बहनो को रक्षा बंधन की तरह ही कोई उपहार या उपहार के लिए कुछ धन राशि देते है।
  8. इस कार्य क्रम में भाई अंत में नारियल गोले को फोड़ कर एक दूसरे को खिलते है।

भाई दूज की शुभकामनाएं हिंदी में पढ़ें।

भाई दूज की कथा व कहानी

भाई दूज से जुडी कुछ पौराणिक कथाये है, जिनको भाई दूज मनाये जाने के सन्दर्भ से जोड़ा जाता है। वह कथाएँ इस प्रकार है।

भाई दूज की कहानी 1 (Bhai Dooj Story 1)

भारतीय जनश्रुति में सुनाई जाने वाली कथाओं के अनुसार एक बुढ़िया थी जिसके एक बेटा और बेटी थे। बेटी का विवाह हो गया था तथा वह परदेश में रहती थी। एक दिन बेटे ने अपनी मां से आग्रह किया कि वह अपनी बहन से मिलने जाना चाहता है। इस पर उसकी मां ने उसे अनुमति दे दी। बहन के घर पहुंचने के बीच उसे कई संकटों से गुजरना पड़ा परन्तु हर बार वह वापिस लौटने का आश्वासन देकर सकुशल अपनी बहन के घर पहुंच गया।

वहां पर बहन ने उसे दुखी देख उससे कारण पूछा। भाई ने उसे सब कुछ बता दिया। इस पर बहन ने भाई को सकुशल उसके घर छोड़ कर आने का वचन दिया और उसके साथ राह में निकल पड़ी। रास्ते में आने वाले सभी संकटों का सामना करते हुए उसने अपने भाई की जान बचाई।

भाई दूज की कथा 2 (Bhai Dooj Story 2)

पौराणिक कथाओं के अनुसार यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान हैं. बहन यमुना की शादी के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन के घर गए थे। इस अवसर पर यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर यमराज को भोजन कराया था। अपनी बहन के इस व्यवहार से खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा।

इस पर यमुना जी ने कहा कि मुझे ये वरदान दो कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवायेगा और बहन के हाथ का भोजन करेगा उसको अकाल मृत्य का भय नहीं होगा। यमराज ने उनकी ये बात मान ली और खुश होकर बहन को आशीष दिया। माना जाता है। तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।

इस त्योहार से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और वापस द्वारिका लौट कर आये थे।तब भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने उनका स्वागत किया था और माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना की थी।

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